यूनेस्को से ज्यादा भारत के अधिकारियों को ताजमहल की चिंता करनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यूनेस्को के बजाय भारत के अधिकारियों को ताजमहल की स्थिति पर ज्यादा चिंता दिखानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने पूछा, 2013 से 2018 तक, कुछ भी क्यों नहीं किया गया? न्यायालय इससे पहले भी इस ऐतिहासिक स्मारक के रंग में परिवर्तन पर चिंता जता चुका है। यूनेस्को से संबंधित टिप्पणी न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने तब की जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा कि उसने 2013 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था को ताजमहल पर एक योजना बनाकर दी थी।अटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत को यह भी जानकारी दी कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव और आगरा मंडल के आयुक्त ताज ट्रेपेजियम जोन की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं। न्यायालय को यह भी बताया गया कि एएसआई के महानिदेशक दुनिया के 7 अजूबों में शामिल विश्व धरोहर ताज महल की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं। जब एएसआई के वकील ने कहा कि यूनेस्को को ताजमहल की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई थी, पीठ ने कहा, यही तो समस्या है। यूनेस्को जैसे संगठन को (ताजमहल की) स्थिति पर चिंता जतानी पड़ी। यह संयुक्त राष्ट्र की संस्था है। हमारी चिंता यूनेस्को द्वारा जताई गई चिंता से अधिक होनी चाहिए।शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अब से हलफनामे इन तीन अधिकारियों- पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव, आगरा मंडल के आयुक्त और एएसआई के महानिदेशक द्वारा ही दायर किए जाएं। पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की। मामले की सुनवाई शुरू होने पर, अटर्नी जनरल ने पीठ को बताया कि आगरा मंडल के आयुक्त टीटीजेड के चेयरमैन हैं और जहां तक उत्तर प्रदेश सरकार का सवाल है तो आगरा मंडल के आयुक्त टीटीजेड के रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं।

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